Monday, April 28, 2025
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कब है अक्षय तृतीया..जानिए अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Akshay Tritiya 2025 : अक्षय तृतीया को सनातन धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है अक्षय तृतीया इस साल 30 अप्रैल को है। अक्षय तृतीया पर सोना दान करने को बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है लेकिन महंगाई के इस जमाने में एक लाख रुपए की कीमत को पार कर चुका सोना दान करना लगभग असंभव ही है। अक्षय तृतीया के मौके पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। इसका बाजार में असर भी दिखने लगा है।

Akshay Tritiya का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 30 अप्रैल को मनाया जाएगा,जो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। इस दिन सोने के आभूषण की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि यदि इस तिथि पर सोने की चीजों को घर लाया जाए, तो व्यक्ति के धन-धान्य में वृद्धि के साथ-साथ बरकत के योग का निर्माण होता है। लेकिन अक्षय तृतीया से पहले से सोना एक लाख रुपए की कीमत को पार कर चुका है। ऐसे में अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना या फिर दान करना किसी सपने से कम नहीं लगता। कीमत के मामले में सोना अपने पुराने सारे रिकॉर्ड्स तोड़ चुका है। दूसरी तरफ धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर सोना दान करने से मिलने वाला पुण्य अक्षय होता है। यानी इसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। अक्षय तृतीया को शुभ कार्यों और मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सोना खरीदना और नया व्यापार शुरू करने के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु,माता लक्ष्मी और भगवान परशुराम की पूजा का विशेष महत्व होता है।

पंचांग के अनुसार,इस साल वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5:29 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि को ही त्योहार मनाने की परंपरा है,इसलिए अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से दोपहर 12:18 तक रहेगा।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि

इस दिन पूजा करने का विशेष महत्व होता है-
1.सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
2.भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें फूल, धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें।
3.विष्णु सहस्रनाम और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
4.गंगा जल से स्नान कराकर देवी-देवताओं को अर्पण करें।
5.अन्न, जल, वस्त्र और सोना दान करें, क्योंकि इस दिन किया गया दान कभी निष्फल नहीं जाता।
6.प्रसाद वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

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