चुनाव के बाद आपने भी किसी न किसी के मुंह से ये लाइनें जरूर सुनी होंगी कि ‘ये तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए…’, या ‘इनकी तो जमानत जब्त हो गई…’। ऐसे में कई लोगों के जेहन में अक्सर ये सवाल उठता है कि आखिर ये जमानत क्या होती है? और चुनाव में जमानत जब्त होना (Chunav Me Jamanat Jabt Hona) क्या होता है? आइए जानते हैं क्या होता है चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब

क्या होती है जमानत
दरअसल हर चुनाव में प्रत्याशी या उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए एक तय रकम चुनाव आयोग के पास जमा करनी होती है, इस राशि को ही जमानत कहा जाता है। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या हारने वाले सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त (Chunav Me Jamanat Jabt Hona) होती है या इसके निर्धारण का काई और तरीका है।
चुनाव में जमानत जब्त होना क्या होता है – Chunav Me Jamanat Jabt Hona
चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब (Chunav Me Jamanat Jabt Hone ka matlab) है कि यदि कोई प्रत्याशी तय वोटों की संख्या से कम वोट पाता है तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। इससे यह साफ है कि यदि कोई प्रत्याशी चुनाव में तय वोटों की संख्या को पार कर जाता है लेकिन फिर भी वह चुनाव नहीं जीत पाता तो उसकी जमानत जब्त नहीं की जा सकती।
कितनी होती है जमानत राशि
हर अलग-अलग चुनाव के लिए अलग-अलग जमानत राशि तय की जाती है। भारत में राष्ट्रपति के चुनाव से लेकर पंचायत के चुनाव तक पर जमानत राशि तय होती है। आइए जानते हैं किस चुनाव में कितनी होती है जमानत राशि?
बता दें कि रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जमानत राशि का जिक्र किया गया है, वहीं राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव की जमानत राशि का जिक्र किया गया है।
लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में सामान्य वर्ग और एससी/एसटी वर्ग के लिए जमानत राशि अलग-अलग निर्धारित होती है, वहीं राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सभी वर्गों के लिए जमानत राशि एक समान होती है।
किस चुनाव में कितनी है जमानत राशि
चुनाव | जमानत राशि |
लोकसभा चुनाव | सामान्य वर्ग- 25 हजार रु, एससी/एसटी- 12,500 रुपए |
विधानसभा चुनाव | सामान्य वर्ग- 10 हजार रु, एससी/एसटी- 5 हजार रुपए |
राष्ट्रपति चुनाव | 15 हजार रुपए (सभी वर्गों के लिए) |
चुनाव में क्यों होती है जमानत जब्त
चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक, जब कोई प्रत्याशी चुनाव में 1/6 यानी 16.66 फीसदी वोट हासिल नहीं कर पाता है तो उस प्रत्याशी की चुनाव में जमानत जब्त कर ली जाती है।
इसको अगर उदाहरण से समझें तो मान लीजिए अगर किसी चुनाव एक लाख वोट पड़ते हैं और उस चुनाव में शामिल पांच उम्मीदवारों को 16 हजार 666 से भी कम वोट मिलते हैं तो ऐसे में उन सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त कर ली जाती है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी यही नियम लागू होता है। ऐसे में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपनी जमानत बचाने के लिए 1/6 वोट हासिल करने ही होते हैं।
इन हालातों में वापस की जाती है जमानत राशि
चुनाव में जिन प्रत्याशियों को 1/6 से ज्यादा वोट हासिल होते हैं, उनको उनकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है।
चुनाव में जीतने वाले सभी प्रत्याशियों की जमानत राशि को वापस कर दिया जाता है।
वहीं यदि किसी चुनाव में कोई उम्मीदवार जीतता है लेकिन उसे 1/6 से कम वोट ही मिलते हैं, तो उसकी जमानत राशि को भी लौटाया जाता है।
वहीं अगर मतदान शुरू होने से पहले किसी उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है, तो उस उम्मीदवार के परिजनों को उसकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है। इसके साथ ही यदि कोई उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले लेता है या किसी का नामांकन रद्द कर दिया जाता है तो उन उम्मीदवारों की जमानत राशि भी वापस कर दी जाती है।